एक बिना पाती का पेड़ है जिससे हमने ,
साया पाया है ,
जिसकी छाया मे एक धूप का टुकड़ा कबसे ,
साथ है ,
कोई अपना भी जिसे पहचान नहीं पाया है ,
कहने को नदिया कल-कल करती जल से ,
भरी है ,
पर उसने अपने कोई भी एक- एक बूंद को ,
तरसाया है ,
भीतर छिपे कुछ ने बहुत साथ निभाया है ,
जब- जब किसी का साथ माँगा तो ,
हमारी परछाई ने ही साथ निभाया है ,
हर कोई दूर से ही भरमाता है ,
पर इन आँखों के मोतियों ने हमारे तन- मन ,
को अपनी ढंडक से सहलाया है ,
कोइ शिकवा- शिकायत नहीं है ,
लोग कहते है जो किस्मत मे था वही ,
तो पाया है ,
ये तो लोगो की नजर है जिसने हमारे सोने ,
से मन को ,
न जाने क्या-क्या कह के दुखाया है ,
हमने भी उन्ही बातो से जीवन मे अपने को ,
रुकी राहों बंद रास्तो से राह मे पडी धूल की ,
मानिंद अपने को सबसे ऊँचे पर्वत शिखर के,
भाल पर चमकता पाया है ,
एक सुखा पेड़ है जिससे हमने अपने मन के भीतर ,
एक हरा- भरा रास्ता पाया है ..............बाकी फिर कभी